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गीता नीति
जीवन की प्रेरणा, भगवद्गीता के सार से
भगवद्गीता श्लोक एवं अर्थ
भगवद्गीता के श्लोक जीवन के गहन सत्य और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यहाँ हम गीता के कुछ महत्वपूर्ण श्लोकों को उनके सरल हिंदी अर्थ और व्याख्या के साथ प्रस्तुत करते हैं, ताकि आप इन्हें अपने दैनिक जीवन में लागू कर सकें। प्रत्येक श्लोक श्रीकृष्ण के उपदेशों का सार दर्शाता है, जो हमें कर्म, ज्ञान, और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
चयनित श्लोक
श्लोक 1: कर्मयोग
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।
अर्थ
तुम्हारा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए न तो कर्म के फल की इच्छा करो और न ही कर्म न करने का संकल्प लो।
यह श्लोक कर्मयोग का मूल सिद्धांत बताता है। यह हमें बिना स्वार्थ के अपने कर्तव्यों का पालन करने और परिणामों की चिंता छोड़ने की शिक्षा देता है।
— भगवद्गीता, अध्याय 2, श्लोक 47
श्लोक 2: आत्मा की अमरता
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषति मारुतः।।
अर्थ
आत्मा को न शस्त्र काट सकते, न आग जला सकती, न जल गीला कर सकता, और न वायु सुखा सकती।
यह श्लोक आत्मा की अमरता और अविनाशी प्रकृति को दर्शाता है, जो हमें जीवन और मृत्यु के भय से मुक्त करता है।
— भगवद्गीता, अध्याय 2, श्लोक 23
श्लोक 3: भक्तियोग
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे।।
अर्थ
मेरे भक्त बनो, मेरा ध्यान करो, मेरी पूजा करो, और मुझे प्रणाम करो। ऐसा करने से तुम निश्चित रूप से मुझे प्राप्त करोगे।
यह श्लोक भक्तियोग का मार्ग दिखाता है, जिसमें ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और प्रेम से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
— भगवद्गीता, अध्याय 9, श्लोक 34
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